लगता है डर
उन प्यार भरे शब्दों से
उन गहरी आँखों से
उन अफसानों से
लगता है डर
उन लम्बी बातों से
उन लम्बी रातों से
लगता है डर
फिर करीब जाने से
उनके सामने आने से
लगता है डर
फिर हाथ बढाने से
अब तो अपनी दोस्ती दिखाने से
अपने आपको आजमाने से
लगता है डर
उन मदहोश हवाओं से
उन चहकती फिजाओं से
उस आयने के परछाई से
उस जुदाई से
लगता है डर
अब तो अपने आप से
हर किसी के साथ से
खुद की आवाज़ से
शायद हर किस्म की आगाज़ से
लगता है डर
उन अनजान राहों से
उन चाय के प्यालों से
उन बारिश के बूंदों से
हर खुशियों के आहट से
लगता है डर
उनके चेहरे पे मुस्कान लाने से
अब तो मज़ाक उड़ाने से
लगता है डर अब मुस्कुराने से
लगता है डर बारिश में भीग जाने से
लगता है डर
हर किसी इंसान से
शायद मुझे बनाने वाले उस भगवान से
भीड़ के नाम से
उस मधुशाले के जाम से
लगता है डर अब तो डर के नाम से !!
1 comments:
good one Anshu . रिअलिटी हिन् है ... सच में आज कल डर कुछ जादा हिन् है ....
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