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स्थानांतरण

. Thursday, October 3, 2013

जी तीन  हफ्ते हो गए हमें हैदराबाद आये हुए !!

पुणे से हैदराबाद आने का निर्णय इतना आसान नहीं था . सत साल हो गए थे पुणे में रहते हुए . अब तो मराठी समझ भी लेते  था और ट्रैफिक पुलिस के हाथ से लाइसेंस बचाने लायक बोल भी लेते था . कॉर्पोरेट टर्म्स में मुझे आप 'fast learner' भी कह सकते हैं ! खैर पुणे में अपने कमरे की बक्कोन्य में चाय की चुस्कियों के बीच शाम व्यतीत करने का मज़ा ही कुछ और था !! ऑटो वाले थोड़े टेढ़े थे पर एक बार से प्यार से बोल दीजिये  'काय  भाऊ ' वोह भी प्यार से मान जाते थे. कम से कम मीटर से तो चलते थे !! वडा पाव मुझे कभी पसंद नहीं आया पर पोहा और चाय की आदत भी मुझे वहीँ लगी ! पश्चिमीकरण के बावजूद पेठ वाले हिस्से में आज भी पुरानी सभ्यता की झलक मिल ही जाती थी !

और हैदराबाद जी इस शहर की अपनी बात है ! लोग काफी 'lite' है. रात में अपने स्पीकर्स पे गाने सुन ने पे कोई कुछ नहीं बोलता ! शायद सब चिल्ल लोग हैं यहाँ ! ऑटो वालों का थोडा लोड है ! मीटर से चलना ये पसंद नहीं करते और कयिओं में मीटर तो है ही नहीं ! रेट सुन के तो गुडगाँव के ऑटो वाले शर्मा जाए ! पर १० - १५  मिनट की खित पिट के बाद मान जाते हैं .

फिलहाल के लिए इतना ही !! थोड़ी पढाई कर लेते हैं

to be contiued

 

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