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रात की आहट

. Wednesday, October 26, 2011

वो अँधेरी रात के साये में जल्दे दीप,
वो फिर से सपने देखने की उम्मीद
वो घर की मिठाइयां और पटाके की आवाज़
वो नए साल में कुछ नया करने की आगाज़


मालूम पड़ता है जैसे कल ही की तो बात थी,
उन गली मुहल्लों में में हमने अपने यारों को आवाज़ दी
चलो कहीं धूम मचा के आयें
दो टहाके लगा के बगल वालों को परेशान कर आयें


आज भी आती है याद उन गलियों की, उन अफसानों की
बीतें हुए पलों की, उन अरमानों की


दुआ ये है इन जगमगाती रातों के बीच खुशियाँ बरकरार रहे
हम ना सही हमारी याद तो रहे .. !!

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