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सोचिये, आराम से सोचिये !!

. Monday, May 7, 2012

२ हफ्ते हो गए सत्यमेव जायेते के Promo को टीवी पै आये हुए.  कुछ  सुपरिचित ज्ञानी लोगों ने तो इसे अपना caller tune भी बना लिया है. मैंने सोचा , अचानक इतनी देशभक्ति, इतनी जागरूकता कहाँ से आ गयी है लोगों के दिलों मे.  हम हिन्दुस्तानी भी ना काफी emotional creature हैं.  इस बात का अंदेशा तो मुझे काफी दिनों से था पर शायद इसकी gravity आज समझ में आई. खैर कल सवेरे जब मैंने अपना Facebook Account खोला तो पता चला, की आमिर खान साहब जो पिछले २-३ दिनों से लोगों से गुहार लगा रहे थे की सवेरे उठ के अपने सारे काम निपटा लें,  लोगों ने वाकई उनकी बात मानी. खैर मैं तो 11:45 पै ही उठ पाया. Twitter पे भी काफी हलचल थी. वैसे मुझे तो अपनी रविवार की नींद ज्यादा प्यारी है. विश्वाश नहीं करेंगे आप पर मैंने अपनी Jannat - 2 की टिकेट तक की परवाह नहीं की अपनी नींद के सामने.  पिछली रात ही बुक करवाई थी 11:30 की. शायद अपने आप से ज्यादा ही उम्मीद कर लिया था मैंने.

 
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BTW Facebook पै मैंने देखा हर कोई सत्यमेव जयते का नारा लगाए बैठा था.  कोई बड़ाई की पुल बांधने में लगा हुआ है तो कोई criticise करने में. लगा की अन्ना हजारे साहब वाले दिन वापस आ गए, ऐसा लगा मानो मेरी फ्रेंड लिस्ट में से २००-३०० लोगों ने अचानक ही India Against Corruption के जागरूक सिपाही में तब्दील हो गए थे. एक मित्र ने तो SMS तक भेज डाला, "Dude did you see Satyamev Jayate ?"  मैंने तो Show के आखिर के 15 minute ही देखा था, पर जितना पढ़ा और सुना उसके बारे में, इतना ही समझ में आया की देश और समाज को बदलने की बात करी जायेगी हर रविवार सुबह ११ बजे.  कुछ जटिल मुद्दे उठाये जायेंगे.

सबसे अच्छी बात है की इसी बहाने कुछ लोग अब हर  रविवार जल्दी उठेंगे. कम से कम आमिर खान साहब को टीवी पै कुछ वजनदार मुद्दों पे बात करते तो सुनेंगे. Facebook पर नारेबाजी करेंगे, आमिर खान साहब के प्रेरणा भरे चित्रों को tag करेंगे, Twitter pe कांग्रेस सरकार पर निशाना साधेंगे, शाम को चाय की प्याले के साथ देश में चल रही सामानांतर घटनाओ का दोषी एक दूसरे को ठेरायेंगे. और कुछ उत्कृष्ट समाज के लोग जो चाय नहीं पीते, वो रविवार की शाम किसी pub में बैठ कर मदिरा के १-२ पेग और कुछ rock संगीत के बीच यही कहते हुए पाए जायेंगे "Fuck it man, We need a trendsetter, we need a revolution, may be a mass movement ".पर यकीन कीजिये, Mass में शामिल होने को कोई तैयार नहीं होगा. और नशे के साथ ये  "mass movement " का नशा भी उतर जायेगा.

अगर एक show से कुछ होना होता तो देश के कई मुद्दे संभाले जा सकते थे. रेप, यौन शोषण , अशिक्षा, जबरदस्ती किए जाने वाले धर्म परिवर्तन, मजदूरों के हक का शोषण, बाल रोज़गार इत्यादि. यह तो बस कुछ मसले हैं जिनसे हम सब घिरे हुए हैं, अगर गहराई में जाएँ तो इस रविवार को शुरू की गयी ये List  शायद अगले रविवार कट भी खत्म ना हो. खैर कल सोमवार है. कल फिर हम अपने अपने ऑफिस में लग जायेंगे, कभी खुद को तो कभी अपने काम को कोसेंगे, गधे जैसे दिन भर काम करेंगे, और देर रात  वापस आकर अखबार पर एक और शोषण के बारे में पढेंगे, किसी ना किसी को दोषी ठेरायेंगे. हफ्ते के बचे हुए दिन Clients  के लिए Analytical reports, Excels Summaries बनाने में, Seniors ko कोसने में,  मसालेदार खबरें पढ़ने में, चल रहे IPL Matches की टिपण्णी करने में, और Friday के इन्तेज़ार में निकल जायेगा.  फिर एक और रविवार आएगा, फिर यही कार्यक्रम दोहराया जाएगा.

तो साहब सवाल तो वही रह गया, सत्यमेव जयते के धुनों को सुनने और उसे Caller tune पे लगने वाले  मासिक ३० रूपये के व्यय के अलावा हमने क्या किया ? हाँ कुछ youtube के videos भी देखा हमने. अगर आप ये बोलते हैं की हममें जागरूकता बढ़ी है तो मुझे तो हसी ही आएगी.  या तो आप अभी भी नींद में है या आपने शायद जागरूकता को अपनी GK Quotient समझ रखा है.  खैर आमिर खान साहब की कोशिश सराहनीय है,  उनकी Team ने जितना Effort लगाया है, वाकई काबिले - तारीफ है.  तो फिर जो लोग ये शो देख रहे हैं , उन्हें क्या करना चाहिए, शायद अपना "Emotional Quotient" कम करना चाहिए और अपना "Actionable Quotient" बढ़ाना चाहिए.  मानसिकता बदलने की कोशिश करिए.

और जहां तक मेरी बात है, मैं तो अब भी हर रविवार अपनी नींद पूरी करने को तवज्जो दूँगा. मैं शायद किसी बदलाव के लिए पहल नहीं कर रहा हूँ , तो क्या हक है मुझे ज्ञान बांटने का, तो साहब मेरा कतई इरादा नै है आप जैसे बुद्धिजीवियों के बीच ज्ञान बांटूं पर हाँ, मैं उन लोगों में से भी नहीं, जो Facebook और Twitter पर बदलाव की बातें करते हैं.  क्या पता, आप अगर अपनी नींद से जाग जाओ, तो मैं भी आपके संग हो लूँ इस बदलाव को लाने के लिए.

थोडा विचार कीजिये, आराम से सोचिये !! Thinking

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